मध्यप्रदेश की बदहाल चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था, एनएसयूआई मेडिकल विंग ने फूंका सीएम शिवराज का पुतला
तीन साल से फर्जीवाड़े के चक्कर में नहीं हुई नर्सिंग की परीक्षाएं, भविष्य को लेकर चिंतित छात्र अगर कोई आत्मघाती कदम उठाते हैं तो विश्वास सारंग होंगे जिम्मेदार: रवि परमार
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में शिवराज सरकार ने एक ओर जहां मेडिकल शिक्षा को लेकर बड़े बड़े वादे किए हैं, वहीं राज्यभर में मेडिकल स्टूडेंट्स सड़कों पर हैं बजट पेश होने के दूसरे दिन राजधानी भोपाल में मेडिकल स्टूडेंट्स का उग्र विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। एनएसयूआई मेडिकल विंग के संयोजक रवि परमार के नेतृत्व में मेडिकल स्टूडेंट्स ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पुतला फूंका और नाराजगी जताई ।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में पिछले तीन साल से नर्सिंग परिक्षाएं नहीं हुईं हैं। नतीजन नर्सिंग स्टूडेंट्स जो तीन साल पहले फर्स्ट ईयर में थे वे आज भी फर्स्ट ईयर में ही हैं। उधर बजट में शिवराज सरकार ने नर्सिंग योजना के तहत बड़े बड़े दावे किए हैं। इसी बात से आक्रोशित सैंकड़ों नर्सिंग स्टूडेंट्स ने छात्र नेता रवि परमार के नेतृत्व में राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते आक्रोशित होकर सैकड़ों नर्सिंग छात्र छात्राओं ने मुख्यमंत्री का पुतला भी दहन किया।
नर्सिंग स्टूडेंट्स के दल का नेतृत्व कर रहे छात्र नेता रवि परमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में व्यापम से भी बड़ा नर्सिंग फर्जीवाड़ा हुआ हैं जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और कई बड़े अधिकारी सीधे तौर पर लिप्त हैं जिसकी उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए
परमार ने कहा कि मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय यदि परीक्षा कराने में असमर्थ है तो फिर छात्र-छात्राओं का आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोशन करना ही उचित है, जिससे कि छात्र छात्राएं अगले वर्ष की पढ़ाई कर सकें और उनका जो साल बर्बाद हुआ है उससे उनको राहत मिल सके। एक तरफ तो शिवराज मामा बारहवीं की् मेरिट में उत्तीर्ण छात्राओं को स्कूटी दिलाने की बात करते हैं वहीं पूर्व में जो मेधावी छात्राएं बारहवीं के बाद नर्सिंग कॉलेजों में अध्यनरत छात्र छात्राओं की तीन सालों से परीक्षा नहीं करवा पा रही है विश्वविद्यालय 2020-21 में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं अभी तक नहीं करवा सका, जिसकी वजह से छात्र छात्राओं के तीन साल बर्बाद हो गए।
रवि परमार ने आगे कहा कि नर्सिंग छात्र छात्राएं अपने भविष्य को लेकर अत्यधिक चिंतित हैं। जिन छात्र छात्राओं का 2 साल का कोर्स था, उनका तीन साल बीतने के बाद भी अभी तक प्रथम वर्ष की परीक्षाएं नहीं हुई हैं। यही हाल 4 साल के कोर्स वाले स्टूडेंट्स का है 3 साल बीतने के बाद भी प्रथम वर्ष की परीक्षा नहीं हुई। छात्र-छात्राओं के साथ साथ उनके अभिभावक भी मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं। उन्हें चिंता है कि उनकी डिग्री कब मिलेगी? विश्वविद्यालय द्वारा बार बार परीक्षाएं रद्द करने के कारण नर्सिंग में अध्यनरत छात्र छात्राएं मानसिक रूप से असहज महसूस कर रही है यदि कोई छात्र छात्राएं मानसिक दबाव में आकर आत्मघाती कदम उठाते हैं तो इसके लिए सीधे तौर पर सरकार की जिम्मेदार होंगी ।
इस अवसर पर एनएसयूआई आईटी सेल के प्रदेश समन्वयक अक्षय तोमर, अरूण राजपूत, देव अवस्थी प्रवीण दुबे, शिव दांगी, विक्रम आमलाबे और सभी नर्सिंग छात्र छात्राएं उपस्थित थे