प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा उड़ान योजना की विधिवत शुरुआत हुई थी।जिसमें देश भर में 109 हवाई अड्डों / हेलीपैड को जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया था। उड़ान स्कीम के तहत 78 हवाई अड्डे और 31 हेलीपोर्ट या हेलीपैड भी शामिल थे।
उसी उड़ान योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री द्वारा 18 ऑगस्ट 2015 को पूर्णिया एयरपोर्ट की भी घोसना हुई थी ।पूर्णिया में एयरपोर्ट बहुत सालो से है मगर वो वायु सेना के अधीन है।सबसे पहली उड़ान 1933 में भरी थी वो उड़ान थी माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए ,इसके बाद 1956 में यहां से एयरपोर्ट सेवा शुरू हुई थी मगर फिर सिर्फ़ नेताओ के आने जाने तक सीमित रही उससे ज़्यादा कुछ नही हुआ ।
पूर्णिया ज़िला देश का सबसे पुराना ज़िला है और इस साल पूर्णिया ज़िला को बने हुए 253 साल हो गए मगर उसके बाद भी यहाँ यातायात के साधनो का अभाव है ।
जब 2015 में प्रधानमंत्री जी ने पूर्णिया एयर पोर्ट को उड़ान योजना में लाए थे तो उमीद जगी की अब जनता के उपयोग में आएगा और जो सालो से यातायात की समस्या थी वो अब ख़त्म होगी ।मगर 7 सालो में कुछ नही हुआ।3 सालो से कुछ सोशल ऐक्टिविस्ट ने ऐक्टिविटी कर करके बहुत कोशिश की लोगों को जागरूक करने से लेकर सरकार पे दवाब बनाने तक ,जिसमें बहुत अभियान चलाए गए जिसमें एक हस्ताक्षर अभियान भी था जिसको सरकार से लेकर पटना हाई कोर्ट में भेजा गया , फिर हाई कोर्ट से पूर्णिया के डी॰एम॰ राहुल कुमार को नोटिस गया की जल्दी से भूमि अधिग्रहण करके सरकार को दे ताकि एयरपोर्ट की रुकावट हटे फिर 15 दिनो में राहुल कुमार द्वारा भूमि अधिग्रहण करके भेजा गया जिससे लोगों में जिज्ञासा जगी की अब एयरपोर्ट शुरू होगा मगर फिर जब बहुत देरी होने के बाद भी कुछ ना हुआ तो आर॰टी॰आई॰ के द्वारा जवाब माँग़ा गया तो पता चला की राहुल कुमार द्वारा ग़लत भूमि अधिग्रहण हुआ था ।जिसका परिणाम ये हुआ की लोगों में आक्रोश बढ़ा जो कुछ लोग लगे थे वो एकाएक और बढ़ते चले गए और सबने मिलकर कुछ कुछ ऐक्टिविटी करना शुरू किया जिसमें आज सुबह 8 बजे से पैदल यात्रा शुरू हुई रेनू उद्यान से आर एन साॅ चौक तक ....8:00 बजे से और 10:30 बजे समापन हुआ ।इस ढाई घंटे की यात्रा में हज़ारों लोग शामिल हुए एक माँग के साथ की जल्दी एयरपोर्ट शुरू किया जाए और एक नारा भी दिया गया की “एयरपोर्ट नही तो वोट नही”
लोगों के ग़ुस्से और माँग की ज़िद देखकर लगता है लोग बिना लिए मानेंगे नही अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या बिहार सरकार और केंद्र सरकार अपनी ज़िम्मेदारी लेते हुए काम को करती है या फिर एक दूसरे पे दोष देकर और अनदेखा करते हुए टालती है ।मगर लोगों का आक्रोश जैसा है उससे नही लगता है की सरकार अनदेखा करके अपना वोट बैंक कम करेगी ।आगे क्या होगा वो कहना अभी जल्दीबाज़ी होगी मगर कहते है ना जब जनता हक़ लेने पे आती है तो लेकर ही रहती है ।