यूक्रेन पर रूस के हमले का उद्योग जगत पर भी काफी बुरा असर देखने को मिल रहा है। इसका असर ऑटो उद्योग पर भी पड़ा है। वाहन निर्माता वोक्सवैगन, रेनॉल्ट और टायर निर्माता नोकियन टायर्स समेत कई कंपनियों ने शुक्रवार को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद उत्पादन कार्यों को बंद करने या वहां से स्थानांतरित करने की योजना की रूपरेखा तैयार की है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने गुरुवार को रूस के खिलाफ व्यापक निर्यात प्रतिबंधों की घोषणा की है। कॉमर्शियल इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर से लेकर सेमीकंडक्टर और विमान के पार्टस जैसे जरूरी सामानों के वैश्विक निर्यात तक अपनी पहुंच को कम कर दिया। इससे कंपनियां विनिर्माण योजनाओं में बदलाव कर सकती हैं या वैकल्पिक आपूर्ति लाइनों की तलाश कर सकती हैं।कोविड-19 के वजह से वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी के चलते ऑटो उद्योग पहले से ही वाहनों की तंग आपूर्ति से जूझ रहा था। ऐसे में यूक्रेन पर रूस का हमला बहुत ही घातक साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है। माना जा रहा है कि इस युद्ध का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है, क्योंकि यूक्रेन और रूस में कई ऐसी वस्तुओं का उत्पादन होता है, जिसे ग्लोबल लेवल पर इक्सपोर्ट किया जाता है। आपको बता दें कि रूस में बड़ी मात्रा में पैलेडियम धातु पाई जाती है। रूस इस धातु (पैलेडियम) का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। पैलेडियम का इस्तेमाल गाड़ियों से निकलने वाली जहरीली गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के असर को कम करने के लिए होता है!आपको शायद ही पता होगा कि पेट्रोल और हाइब्रिड गाड़ियों के एग्जॉस्ट में इस्तेमाल होने वाले कैटेलिटिक कनवर्टर पैलेडियम से तैयार किए जाते हैं। इस युद्ध के कारण इस धातु की सप्लाई चैन बाधित होगी और कीमतों में वृद्धि होगी, जिसके कारण भारत में गाड़ियों की कीमतों पर असर देखने को मिल सकता है।रूस और यूक्रेन सेमीकंडक्टर निर्माण के साथ-साथ महत्वपूर्ण गैसों और धातुओं का उत्पादन करते हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद इस युद्ध का सीधा असर इन पर हुआ है!
आपको जानकर हैरानी होगी एक दिसंबर 2021 को क्रूड ऑयल की कीमत 68.87 डॉलर प्रति बैरल थी, जो अब बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर हो चुकी है। वहीं, गुरुवार की शाम क्रूड ऑयल की कीमत 105.25 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। बताते चलें कि दोनों ही देशों में बड़े स्तर पर इलेक्ट्रिक कार और उनमें लगने वाली बैटरी की मैन्यूफैक्चरिंग की जाती है। इस युद्ध के कारण इलेक्ट्रिक गाड़ियों और उनमें लगने वाली बैटरी पर भी बुरा असर पड़ेगा। इससे सप्लाई चैन बाधित होगी और उनकी कीमतें बढ़ेंगी। आने वाले दिनों में भारत समेत वैश्विक ऑटो उद्योग पर इसका बुरा असर देखने को मिल सकता है। भारत में भी कारों के दाम बढ़ सकते हैं।