यूपी के परिणाम से बदलेगी बिहार की राजनीतिक तस्‍वीर, तेजस्‍वी और सहनी की तय होगी नई दशा और दिशा

बिहार में राजद-कांग्रेस का एजेंडा बदल सकता है यूपी का परिणाम। योगी की वापसी हुई तो बिहार में बढ़ेगा भाजपा का उत्साह। मुकेश सहनी का राजनीतिक अस्तित्‍व दांव पर। तेजस्‍वी की भाजपा विरोधी मुहिम पर भी पड़ेगा व्‍यापक असर।पांच राज्यों के साथ पड़ोस के चुनाव परिणाम पर बिहार की भी नजर है, क्योंकि दोनों स्थितियों में यहां की राजनीति प्रभावित होने वाली है। भाजपा और सपा की हार जीत से प्रदेश का राजनीतिक एजेंडा बदल सकता है। अभी राजद और कांग्रेस के बीच दूरी बढ़ रही है। विधान परिषद चुनाव में दोनों के रास्ते अलग हो गए हैं। भाजपा-जदयू खेमे में भी हलचल इसलिए है कि जदयू यूपी में स्वयं भी 26 सीटों पर मैदान में है। भाजपा के सहयोग से बिहार में मंत्री मुकेश सहनी का अस्तित्व ही दांव पर है, क्योंकि बिहार में सत्ता और भाजपा की महत्ता को नजरअंदाज करके यूपी की 55 सीटों पर वह चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में यूपी के नतीजे का सबसे पहला असर उन्हीं पर पड़ सकता है। 

तेजस्‍वी की कोशिशों को लग सकता है झटका 

यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार की अगर वापसी हुई तो बिहार भाजपा का उत्साह जितना बढ़ेगा, उतना ही विपक्षी खेमा हतोत्साहित भी हो सकता है। तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विकल्प खड़ा करने की कोशिशों को झटका लग सकता है।

अभी हाल में ही उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मिलकर भाजपा विरोधी विकल्प की बड़ी संभावनाओं को हवा दी थी। यदि परिणाम उल्टा आता है और समाजवादी पार्टी के पक्ष में हवा बनती है तो राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की एकजुटता का श्रीगणेश हो सकता है और इसमें तेजस्वी यादव की बड़ी भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता।

प्रियंका गांधी को उतारने का क्‍या होगा असर 

हालांकि, बिहार मेें कांग्रेस के लिए तब भी अच्छा नहीं होगा, क्योंकि यूपी में पिछली बार सपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसके नतीजे अच्छे नहीं आए थे। ...और इस बार प्रियंका गांधी जैसे बड़ा चेहरा उतारने के बाद भी कांग्रेस की नाकामयाबी का संदेश बिहार तक जरूर पहुंचेगा, जहां पहले से ही दोनों दल दो ध्रुव की ओर बढ़ रहे हैं।

राजद में इसका भावार्थ यह भी निकाला जा सकता है कि कांग्रेस ने यूपी में भाजपा के आधार वोट में सेंध लगाकर अखिलेश की राह को आसान किया है। जाहिर है बिहार में कांग्रेस को राजद के नजदीक आने का मौका तभी मिलेगा, जब यूपी में योगी की वापसी होगी। तब दोनों दूसरे के महत्व को बेहतर समझ सकते हैैं। 

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