लेफ्ट विंग के छात्रों ने एबीवीपी छात्रों पर जेएनयू परिसर में गुंडागर्दी का आरोप लगाते हुए छात्रों को एकजुट होने का आह्वान किया है।वहीं एबीवीपी का आरोप है कि लेफ्ट विंग के छात्र कावेरी हॉस्टल में रामनवमी की पूजा नहीं करने दे रहे हैं। इस फूड कॉन्ट्रोवर्सी पर यूनिवर्सिटी की ओर से एक नोटिस जारी किया गया है। यूनिवर्सिटी की ओर से कहा गया है कि जेएनयू कैंपस के मेस में किसी भी धर्म के लिए खाने-पीने के लिए कोई पाबंदी नहीं है। यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से कोई मनाही नहीं है। चाहे रमजान हो या रामनवमी... हर कोई इसे अपने तरीके से मना सकता है। साथ ही यह भी कहा गया है कि किसी के भी पहनावे पर, खाने पर और आस्था पर रोक टोक नहीं कर सकते हैं। सभी लोग अपने हिसाब से अपने धर्म का पालन करते हैं। मेस स्टूडेंट कमेटी चलाती है और मेन्यू वही तय करते हैं।
जेएनयू स्टूडेंट यूनियन(JNUSU) की ओर से कहा गया है कि एबीवीपी के गुंडों ने अपनी नफरत की राजनीति और विभाजनकारी एजेंडे को लेकर कावेरी हॉस्टल में हिंसक माहौल बना दिया है। वे मेस कमेटी को रात के खाने के मेन्यू को बदलने के लिए मजबूर कर रहे हैं और मेस से जुड़े लोगों के साथ लेफ्ट विंग के छात्रों पर हमला कर रहे हैं। मेन्यू में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के फूड हैंं। छात्र अपनी पसंद के मुताबिक कोई भी खाना ले सकते हैं। लेकिन एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने गुंडागर्दी कर हंगामा किया। साथ ही मेस के कर्मचारियों के साथ मारपीट भी की। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने मेस के कर्मचारियों से नॉनवेज फूड नहीं बनाने का दबाव डाला।
स्टूडेंट यूनियन की ओर से कहा गया है कि जेएनयू और उसके हॉस्टल सभी के लिए एक जैसा है। यहां रह रहे छात्र अलग-अलग इलाकों से होते हैं और उनकी संस्कृति, खान-पान भी अलग-अलग होता है, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। एबीवीपी का यह कदम जेएनयू जैसे लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष स्थानों पर आधिपत्य जमाने की उनकी राजनीति और दक्षिणपंथी हिंदुत्व नीतियों को दर्शाता है।स्टूडेंट यूनियन ने कहा कि जेएनयू के छात्र इस तरह की विभाजनकारी चालों के आगे नहीं झुकेंगे और इस तरह की घटनाओं के खिलाफ लड़ना जारी रखेंगे। जेएनयू स्टूडेंट यूनियन छात्रों से सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ एकजुट होने की अपील करता है। ऐसी किसी भी विभाजनकारी शक्तियों का डटकर मुकाबला किया जाना चाहिए और जेएनयू समुदाय को एकजुट होकर दोहराना चाहिए कि ऐसे किसी भी कृत्य के खिलाफ जीरो टॉलरेंस होगा।
वहीं इस हिंसा पर बिरसा अम्बेडकर फूले स्टूडेंट्स एसोसिएशन(BAPSA) ने कहा कि एबीवीपी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसकी गुंडागर्दी की कोई सीमा नहीं है। एबीवीपी बार-बार लोकतांत्रिक आचरण का पालन करने में विफल रहता है जैसे कि किसी भी प्रकार की बातचीत या चर्चा का उपयोग करना। हिंसा, डराने-धमकाने, गुंडागर्दी और छात्रों पर हमला करने का यह उसका एकमात्र रास्ता है जिस पर उसने बार-बार भरोसा किया है। बार-बार इसने अपनी ध्रुवीकरण परियोजना के साथ परिसर के सामाजिक स्वास्थ्य और सद्भाव को बाधित करने का प्रयास किया है। कई छात्र घायल हैं और वर्तमान में अस्पताल में भर्ती हैं; कई छात्राओं को प्रताड़ित किया गया और बलात्कार की धमकी दी गई। एबीवीपी सदस्यों ने मोटरसाइकिलों में तोड़फोड़ की और घटनाओं को रिकॉर्ड करने वाले लोगों के मोबाइल फोन तोड़ दिए। यह सब दिल्ली पुलिस की मौजूदगी में हुआ है। पुलिस जाहिर तौर पर हिंसक एबीवीपी को बचा रही है। बापसा एबीवीपी और उसके गुंडों द्वारा की गई हिंसा की निंदा करती है।
बापसा ने कहा, "आज से 14 अप्रैल तक फुले-आंबेडकर जयंती मनाते हुए, हम ब्राह्मणवाद का मुकाबला करने की क्रांतिकारी संस्कृति को आगे बढ़ाएंगे, जिसे एबीवीपी धमकी और हिंसा के माध्यम से प्रचारित कर रही है। फुले-आंबेडकर जयंती का हमारा उत्सव इस ब्राह्मणवादी ताकत के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोध के रूप में खड़ा होगा और विश्वविद्यालय के स्थान को पुनः प्राप्त करेगा जो कि हमारा अधिकार है। हम एबीवीपी के खिलाफ प्रतिरोध को बनाए रखते हुए ब्राह्मण-विरोधी प्रतीक और संस्कृति के साथ-साथ क्रांतिकारी आंदोलनों का जश्न मनाएंगे।"