नहाय-खाय के साथ आज से शुरू होगा लोकआस्थ का महापर्व छठ

नेशन संवाद संवाददाता मोतिहारी। 

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत आज नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो जाएगा। छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का महापर्व है मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है।


स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं ।उक्त बातें आचार्य कृष्णानन्द दुबे  ने बताया कि चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई ,छठ, सूर्य षष्ठी पूजा इत्यादि कई नामों से जाना जाता है।आचार्य कृष्णानन्द दुबे ने छठ महापर्व के बारे में बताते हुए कहा कि पुराणों के मुताबिक राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद  कीजिए पत्नी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र हुआ लेकिन वह मृत पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और उन्होंने कहा, "सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं राजन तू मेरी पूजा करो और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करो"। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी। एक मान्यता के अनुसार, लंका पर विजय पाने के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्य देव की पूजा की।सप्तमी को सूर्योदय के वक्त फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था । यही परंपरा तब से अब तक चली आ रही है।






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